गहन अनुभूतियों की समर्थ अभिव्यक्ति का नाम है प्रतिभा सक्सेना । फ़ोल्सम । केलिफ़ोर्निया । United States में रह रही प्रतिभा जी अध्यापन से जुङी हैं । गद्य और पद्य दोनों की अनेक विधाओं में अपने रचना संसार की व्याप्ति रखने वाली प्रतिभा जी का फलक बहुत विस्तृत है । जिसका आभास उनके ब्लागों की विषय वस्तु से ही मिलता है । कविताओं में - 'क्षिप्रा की लहरें' के अतिरिक्त लंबी कविताओं पर 'मनराग' और लोक भाषा मे 'लोकरंग' नामक ब्लाग में उनकी लोक संबद्ध काव्य रचनायें हैं । जिनमें हिन्दी की अल्पज्ञात नचारी विधा का सुन्दर और मोहक रूप पहली बार सामने आया है । गद्य में 'लालित्यम' - ललित निबंध । कहानी । उपन्यास । व्यंग्य इत्यादि हैं । प्रतिभा जी अपने बारे में कहती हैं - इस अकेली यात्रा में । राग से वैराग्य तक की । मैं बनी बेमेल मेले में । अनेकों बार भटकी । उसी स्नेहिल दृष्टि का । अभिषेक चलती बार पा लूँ । कर्ण कुहरों में गहन । आश्वस्ति देते स्वर समा लूँ । क्या पता अनिकेत मन । लेगा कहाँ जाकर बसेरा ? कहाँ मेरा जन्म था । होगा कहाँ अवसान मेरा ? मौन..मैं अनजान । फिर बोलो कहाँ आवास मेरा ? इनके ब्लाग - क्षिप्रा की लहरें । लालित्यम