23 May 2017

मुफ़्त डाउनलोड अनुराग सागर

मेरी बातों से विचलित होकर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर और ब्रह्मा के पुत्र सनकादिक सबने मिलकर शून्य में ध्यान समाधि लगायी ।
समाधि में उन्होंने प्रार्थना की - हे ईश्वर ! हम किस ‘नाम’ का सुमरन करें और तुम्हारा कौन सा नाम ध्यान के योग्य है ?
हे धर्मदास ! जैसे सीप, स्वाति नक्षत्र का स्नेह अपने भीतर लाती है ।
ठीक उसी प्रकार उन सबने ईश्वर के प्रति प्रेमभाव से शून्य में ध्यान लगाया ।
उसी समय निरंजन ने उनको उत्तर देने का उपाय सोचा ।
और ‘शून्य-गुफ़ा’ से अपना शब्द उच्चारण किया ।
तब इनकी ध्यान समाधि में रर्रा यानी ‘रा’ शब्द बहुत बार उच्चारित हुआ ।
उसके आगे म अक्षर उसकी पत्नी माया यानी अष्टांगी ने मिला दिया ।
इस तरह रा और म दोनों अक्षरों को बराबर मिलाने पर राम शब्द बना ।
तब राम नाम उन सबको बहुत अच्छा लगा ।

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मुफ़्त डाउनलोड, अनुराग सागर


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