बृह्माण्ड भृमिते कोन भाग्यवान जीव । गुरु कृष्ण प्रसादे पाय भक्ति लता बीज ।..जी हाँ ! यह एकदम सच है । इस सकल बृह्माण्ड के अनगिनत भृमित जीवों में से कोई कोई ही सच्चे गुरु की कृपा से भक्ति रूपी लता का बीज प्राप्त करके इस जीवन को सार्थक बना सकता है । अतः सच्चे गुरु की तलाश और अधिक से अधिक सतसंग में जीवन गुजारना ही अपने जीवन को सार्थक करना है ।..
पंखुङी जी नामक भक्त ब्लागर ने अपने बारे में कुछ बताया तो नहीं है । पर जगह जगह उनके विचार इसी भावना को प्रकट करते हैं । आगे देखिये । वे कितनी अच्छी बात कहती हैं - साधु संग के बिना भगवान का प्रेम नही प्राप्त हो सकता । और अगर इस मानव जीवन में भी हमने भगवान के लिए अपने ह्रदय में प्रेम नहीं उत्पन्न किया । तो फिर ये योनि तो बेकार जायेगी ही । साथ ही आगे चौरासी लाख योनियों का दुखदायी और अंतहीन सफर हमें तय करना पडेगा । उन योनियों में न भगवान समझ आयेंगे । न साधु ही मिलेंगे । करोडों करोडों जन्मों के पश्चात ये दुर्लभ मानव जन्म मिलता है । तो फिर हम इसे यूं ही आहार । निद्रा । भय । मैथुन में पशुवत क्यों गवाएं । ब्लाग - गुरु महाराज । सत्संग । दिव्यवार्ता
पंखुङी जी नामक भक्त ब्लागर ने अपने बारे में कुछ बताया तो नहीं है । पर जगह जगह उनके विचार इसी भावना को प्रकट करते हैं । आगे देखिये । वे कितनी अच्छी बात कहती हैं - साधु संग के बिना भगवान का प्रेम नही प्राप्त हो सकता । और अगर इस मानव जीवन में भी हमने भगवान के लिए अपने ह्रदय में प्रेम नहीं उत्पन्न किया । तो फिर ये योनि तो बेकार जायेगी ही । साथ ही आगे चौरासी लाख योनियों का दुखदायी और अंतहीन सफर हमें तय करना पडेगा । उन योनियों में न भगवान समझ आयेंगे । न साधु ही मिलेंगे । करोडों करोडों जन्मों के पश्चात ये दुर्लभ मानव जन्म मिलता है । तो फिर हम इसे यूं ही आहार । निद्रा । भय । मैथुन में पशुवत क्यों गवाएं । ब्लाग - गुरु महाराज । सत्संग । दिव्यवार्ता