07 August 2011

जो समझे उसके लिये खुली किताब हूँ - किरन

जींद । हरियाणा । भारत की रहने वाली सुश्री किरन रावत जी की हर बात ही निराली है । उनके बहुत कम शब्दों में जमाने भर का गम और सागर की सी गहराई छुपी हुयी है । मगर इसके बाद भी उसे हताशा या निराशा हरगिज नहीं कह सकते । देखिये - जो न समझ सके  उसके लिए पहेली हूँ । जो समझ ले  उसके लिए खुली किताब हूँ । बेवफ़ाई की मजबूती भी - ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो । क्योंकि जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है । इसी तरह का अपने लिये भी उनका विचार है - अच्छी बुरी जैसी भी हूँ । अपने लिये ही हूँ । मैं खुद को नहीं देखती । औरों की नजर से । तारुफ़ के लिये इतना ही । वो रिश्ता छोङ देते हैं । जो रिश्ता आम होता है । आगे वे अपने बारे में और भी कहती हैं - I m very simple girl, strongly believe in relationships and friendships I also think that what goes around comes around. Life is short so don't hurt others and don't have hate in your life because we don't know what will happen tomorrow. इनका ब्लाग - बुरा जो देखन मैं चली  α яαу σƒ нσρє

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