दिल्ली भारत की रीना मलिक जी की मीनाकारी..अरे अरे नहीं..सारी ! रीनाकारी का एक अलग ही अन्दाज है । कहने को तो गजल गो हैं बहुत । पर गालिब का अन्दाज बयां कुछ और ही है । कुछ कुछ ऐसा ही रीना जी का ख्याल है । देखिये - बहुत दिन हुये किसी अच्छे व्यक्तित्व को देखे । क्योंकि बहुत दिन से आइना नहीं देखा था । आइने को देखकर सकून मिल गया । इससे ज्यादा क्या तारीफ़ करूँ ?..आगे और भी देखिये - फिर कुछ ज्यादा तो वो भी कहाँ सह पाएगा । आज एक पल लौट आया । कल जो बीता । आज फिर मिला । एक मर्तबा फिर जी लूँ । कल कुछ अपूर्ण था । आज फिर पूर्ण कर लूँ । जाना फिर है उसको । कुछ देर मुलाकात कर लूँ । जब भी गुज़रेगा इस राह से मेरी । हसरतों को अपनी फिर जियेगा । कुछ पल ही भेट मिलेंगे..तो क्या ? इन पलों को हर महफिल में गुनगुनाएगा । जिन्हें कभी नहीं भुला पायेगा । मेरी किस्मत में इतना ही सही । फिर कुछ ज्यादा तो । वो भी कहाँ सह पाएगा ?..वाकई रीना जी ! आप सही कह रहीं हैं । आय’म एग्री विद यू । नहीं सह पायेगा बेचारा । ब्लाग - रीनाकारी