शब्द साधना राह कठिन । शब्द शब्द से दीप बनेंगे । तमस रात में लिख देंगे । शब्दों में ना बेर भरेंगे । ब्लाग वर्ल्ड में बहुत से ऐसे नाम है । जिनके परिचय की आवश्यकता ही नहीं है । वे अपने विचारों की रोशनी से खुद ही प्रकाशित हो रहे हैं । ऐसा ही एक नाम है । उदयपुर राजस्थान की श्रीमती अजित गुप्ता जी का । इनकी प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने । सांझ की झंकार ( कविता संग्रह ) अहम से वयम तक ( निबन्ध संग्रह ) सैलाबी तटबन्ध ( उपन्यास ) अरण्य में सूरज ( उपन्यास ) हम गुलेलची ( व्यंग्य संग्रह ) बौर तो आए ( निबन्ध संग्रह ) सोने का पिंजर- अमेरिका और मैं ( संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त ) प्रेम का पाठ ( लघुकथा संग्रह ) आदि हैं ।.. श्रीमती गुप्ता का दूसरा ब्लाग भी एक बेहतरीन उद्देश्य हेतु है । देखिये - मानव प्रयास के सभी क्षेत्रों में भारत के संवर्द्धन का प्रयत्न । भारत की सांस्कृतिक । सामाजिक । शैक्षिक । नैतिक । राष्ट्रीय और आध्यात्मिक प्रगति के लिए उचित उपायों और साधनों को अंगीकार करना । सेवा और संस्कार प्रकल्पो द्वारा भारत के जनसामान्य को लाभान्वित करना । अजित जी ! आपको हम सबकी तरफ़ से बहुत बहुत शुभकामनायें । ब्लाग - अजित गुप्ता का कोना । भारत विकास परिषद