02 April 2011

शिवमेवम सकलम जगत । देवेन्द्र मिश्रा

श्री देवेन्द्र मिश्रा जी ने अभी फ़रवरी से ही ब्लागिंग शुरू की है । और मुझे खुशी है कि वे जीवन की बारीकियों और संवेदनशील पक्षों को गहराई से और सूक्ष्मता से महसूस करते हैं । आध्यात्म की तरफ़ भी उनका खासा रुझान है । तो आईये । श्री मिश्रा जी का भावभीना स्वागत करते हुये उनके सूक्ष्म चिंतन पर आधारित कुछ अनमोल विचारों को जानें ।..विचारों की प्रबलता व उनके निरंतर अंधङ व शोर के कारण हमारे अवचेतन मन की सूक्ष्मदृष्टि क्षमता जाया जाती है । प्रभातबेला में पक्षियों का कलरव । चलती हवा में पत्तों की सरसराहट । सूर्य की बालकिरणों में चमकती ओस की बूँदें । बगीचे में कलियों से खिलते पुष्प । य़ा अलसाये से व अर्धनिदृत से स्कूल के लिये प्रस्थान करते मासूम बच्चे । इन मनोहरतम अद्भुत ध्वनियों व दृश्यों पर तो हमारा ध्यान भी नही पहुँच पाता । हमारे अवचेतन की सूक्ष्मदृष्टि जो एकमात्र इन मनोहरतम अद्भुत ध्वनियों को सुनने व देखने में सक्षम है । Industry..Transportation Occupation.. Electrical Engg .. Location..Bangalore..Karnataka..India ब्लाग...शिवमेवम सकलम जगत

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