31 March 2011

इंसानियत ही मेरा धर्म है । मदन शर्मा

अपने लिये कहने को कुछ नहीं मेरे पास । जन्म जाति तथा कर्म दोनों से ही मनुष्य हूँ । इंसानियत ही मेरा धर्म है । अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा और संवेदनशील इन्सान । बहुरंगी जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे फूटे शब्दों में सहेजता हूँ । कुछ भी गलत बर्दाश्त नहीं होता । जो महसूस करता हूँ । वही लिखता हूँ । जो विद्या के मर्म की समझ नहीं रखते । वे चाहे निन्दा करें या प्रशंसा । मेरी नजर में उसका कोई मूल्य नहीं । परन्तु विद्या के पारखियों की सम्मति का ही मैं वास्तव में आदर करता हूँ । फिर चाहे वह मेरे पक्ष में हो । या विपक्ष में । मैं प्रसन्न अन्त:करण से पारखियों की परख की प्रतीक्षा कर रहा हूँ । कविता । कहानी तथा बाथरूम सिंगिंग मेरी मनपसंद विधायें हैं । एक छोटी सी मुस्कान की तलाश में निरंतर प्रयासरत रहना । तथा समाज को सही दिशा देने वाली पुस्तकें पढना मेरा शौक है । किसी भी विषय पर बहस को मैं उचित मानता हूँ । स्वस्थ लोकतंत्रीय बहस किसी भी देश के विकास के लिए जरुरी होता है । बहस से ही कई मसलों का हल निकाला जा सकता है । हां इतना जरूर है कि बहस तर्कों पर आधारित होना चाहिए । कुतर्क नहीं होना चाहिए । ब्लाग..मदन @ आर्यन काम

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