20 May 2011

जानती हूँ..लोग समझेंगे नही । आरती झा ।

अपने बारे में क्या लिखूँ ? मम्मी पापा की लाडली बेटी । 2 भाइयों की प्यारी बहन । और 1 समझदार पति की समझदार पत्नी । हा हा हा । बस यही हूँ मै । और मुझमे ऐसा कुछ  खास नहीं । जो चर्चा के लायक हो । साधारण सी 1 लड़की हूँ । मेरे छोटे छोटे सपने हैं । लिखना । मेरे लिए मेरे जीबन का वो पल है । जहाँ मैं अच्छी बुरी बातें । गिले शिकवे । गलती । पछतावा सबको कबिताओं में उतारती हूँ । अपने दिल की बातों को किसी से शेयर नही करती । क्योंकि जानती हूँ । लोग समझेंगे नही । लिखकर अक्सर लोगों के पीछे भागती । please कोई मेरी कबिता सुनो । मगर अफसोस ! मुझसे और मेरी कबिताओं से लोग बहुत दूर भागते । क्योंकि खाली बैठे लोगों के पास न तो समय होता । और न किसी को मेरी कविता समझ आती  । पर अब नहीं भागती । क्योंकि अब तो उङने के लिए पंख मिल गए है । आप सब जो मिल गये । जो भागते थे । अब वही पूछते हैं । क्या बात.. आजकल लिखना बंद कर दिया क्या ? उस वक़्त मुझे बस मेरी चाहत ही याद आती । अब देखना है कि आप सब मुझे और मेरी कबिताओं को कब तक झेलते हैं ? ब्लाग - चाहत

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