01 March 2011

झूठ से मुझे सख्त नफरत है । वन्दना गुप्ता । P 22

और मैं झूठ बोलने की आदत से मजबूर । इसलिये गीता पर हाथ रखकर..। वन्दना जी एकदम बेकार लिखती हैं । इनका ब्लाग कोई नहीं पढता । कविता तो समझो..कि झेलो भाई झेलो ।..अरे हैरान न होओ । भाई लोगो । कहा ना मजबूर हूँ । सच इसका ठीक उल्टा है । वन्दना जी इज कमाल रायटर ।..बुरा ना मानों..होली ( आने वाली ) है । आगे देखिये । वन्दना जी कैसा सफ़ेद झूठ बोल रहीं हैं ।..मैं एक गृहणी हूँ । मुझे पढ़ने लिखने का शौक है । तथा झूठ से मुझे सख्त नफरत है । मैं जो भी महसूस करती हूँ । निर्भयता से  लिखती हूँ । अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नहीं । इसलिए मुझे अपने बारे में मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है । मेरा ब्लॉग पढ़कर आप नि:संकोच मेरी त्रुटियों को अवश्य बताएँ । मैं विश्वास दिलाती हूँ कि हरेक ब्लॉगर मित्र के अच्छे सृजन की अवश्य सराहना करूँगी । ज़ाल जगत रूपी महासागर की मैं तो मात्र एक अकिंचन बूँद हूँ । जख्म जो फ़ूलों ने दिये एक प्रयास । जिन्दगी एक खामोश सफ़र

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