27 September 2011

यादें हमको तोङती वादे को महबूब - दिनेश गुप्ता "रविकर"

झारखण्ड । S M Dhanbad ( Patranga, Faizabad,UP )  भारत के निवासी और इंजीनियरिंग इण्डस्ट्री के STA, Department of Electronics में कार्यरत श्री दिनेश चन्द्र गुप्ता  " रविकर " की व्यंग्य रचनाओं को पढने का मजा ही अलग है । फ़िर वो राजनीति पर हों । या महबूब पर । पैनी छुरी की धार समान काटते हैं । आप भी देखिये - दावे पुख्ता यार के । वादे तोड़े खूब । यादें हमको तोडती । वादे को महबूब । वादे  को  महबूब । नजर  में  भरी  हिकारत । यादों में हम डूब । चीखते रहे पुकारत । जब रविकर भरमाय । तड़पकर उसे बुलावे । करे क़त्ल सौ बार । यार के झूठे दावे । दो सौ रुपये घूस के । गए नौकरी लील । बड़ी कोर्ट मानी नहीं । कोई दया दलील । कोई दया  दलील । भ्रष्टता छोटी मोटी । कौआ हो या चील । सभी खोटी की खोटी । and about me - दिनेश चन्द्र गुप्ता  " रविकर " ईश्वर की सबसे खूबसूरत रचना ( बच्चों ) को समर्पित था समय (शिवा TCIL नई दिल्ली ABU-DHABI http://kushkikritiyan.blogspot.com मनु TCSL, LUCKNOW एवं स्वस्ति-मेधा (B Tech , BIET झांसी ) इनके ब्लाग - दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी । नीम-निम्बौरी

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