21 March 2011

पत्रकार आत्मा की तृप्ति । शिखा वाष्णेय ।

अपने बारे में कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान । तो कुछ के लिए बहुत मुश्किल । और मेरे लिए तो नामुमकिन । फिर भी कुछ तो लिखना ही पड़ेगा । तो सुनिए । by qualification एक journalist । moscow state university से गोल्डमैडल के साथ TV Journalism में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम । हिंदी अंग्रेज़ी रूसी भाषा पर समान अधिकार । परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से । खैर कुछ समय पत्रकारिता और उसके बाद गृहस्थ जीवन में रम गये । कहते हैं न कि जो करो शिद्दत से करो । पर लेखन के कीड़े इतनी जल्दी शांत थोड़े ही  होते हैं । गाहे बगाहे काटते रहे । और हम उन्हें एक डायरी में बंद करते रहे । फिर पहचान हुई इन्टरनेट से । यहाँ कुछ गुणीजनों ने उकसाया । तो हमारे सुप्त कीड़े फिर कुलबुलाने लगे । और भगवान की दया से सराहे भी जाने लगे । कई "poet of the month पुरस्कार भी मिले । और फिर हमने शुरू कर दी स्वतंत्र पत्रकारिता । अब फुर्सत में लिखा हुआ कुछ हिंदी पत्र पत्रिकाओं में छप जाता है । और इस ब्लॉग के जरिये आपके आशीर्वचन मिल जाते हैं । इस तरह हमारे अंदर की पत्रकार आत्मा तृप्त हो जाती है । ब्लाग.. स्पंदन

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