26 February 2011

अमृतरस की आस है । डॉ. नूतन डिमरी P 18


डॉ. नूतन जी का परिचय उन्हीं के शब्दों में..जीती रही जन्म जन्म । पुनश्च मरती रही । मर मर जीती रही पुन । चलता रहा सृष्टिक्रम । अंतविहीन पुनरावृत्ति कृमश । पेशा डॉक्टर । स्त्रीरोग विशेषज्ञ । बहुत दुखी देखे । जिंदगी और मौत का संघर्ष । तङपता जीवन । घुटने टेकता मिटते देखा है । जिंदगी की जंग जीती जाए । अमृतरस की आस है । ( और भी सुनिये )..समर्पण । घर में । परिवार । हॉस्पिटल में । मरीज । नेट में । मित्र । खाली वक़्त में । लेखनी । और अब तो मैं लिखने के लिए वक़्त खाली कर देती हूँ । लेख कवितायें भी बचपन से खूब लिखी । रुझान रहा लेखन की ओर । किन्तु पब्लिश करने की बात नहीं सोची । आज भी अपनी जिंदगी की दास्ताँ और अपने विचार लिखती हूँ बस यूं ही । कलम किताब मुझे अकेले नहीं होने देते । वो मेरे सच्चे साथी हैं । जिनसे अपनी बात कहती हूँ । अन्य..बागवानी । रसोई । खेलकूद । क्विज और गूढ़ प्रश्नों को हल करना । निशानेबाजी । डिजायनिंग । स्पोर्टस । बेडमिंटन और टीटी की कप्तान रही ।

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